Thursday, August 19, 2021

35 सूरह अल फ़ातिर

सूरह अल फ़ातिर मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 45 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. अल्लाह ही सज़ावारे हम्दो सना है यानी तमाम तारीफ़ें ही के लिए हैं, जो आसमानों और ज़मीन की तख़लीक़ करने वाला है. फ़रिश्तों को अपना क़ासिद बनाने वाला है, जिनके दो-दो और तीन-तीन और चार-चार पर हैं. और वह अपनी तख़लीक़ में जिस क़द्र चाहता है, इज़ाफ़ा कर लेता है. बेशक अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है.
2. अल्लाह इंसानों के लिए अपनी रहमत के दरवाजे़ खोल दे, तो कोई उसे रोकने करने वाला नहीं है. और अगर वह रोक ले, तो कोई उसे भेजने वाला नहीं है. और वह बड़ा ग़ालिब, बड़ा हिकमत वाला है.
3. ऐ इंसानो ! अल्लाह ने तुम्हें जो नेअमतें अता की हैं, उसे याद करो. क्या अल्लाह के सिवा कोई और ख़ालिक है, जो तुम्हें आसमान और ज़मीन से रिज़्क़ दे. उसके सिवा कोई माबूद नहीं. फिर तुम कहां भटक रहे हो.
4. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! और अगर वे लोग तुम्हें झुठलाएं, तो अजब नहीं. तुमसे पहले के रसूलों को भी झुठलाया गया है. और तमाम काम अल्लाह ही की तरफ़ रुजू करते हैं. 
5. ऐ इंसानो ! बेशक अल्लाह का वादा बरहक़ है. फिर कहीं दुनियावी ज़िन्दगी तुम्हें धोखे में न डाल दे और वह फ़रेबी शैतान अल्लाह के नाम पर तुम्हें धोखे न दे.
6. बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है. फिर तुम भी उसे अपना दुश्मन ही समझो. वह अपने गिरोह को सिर्फ़ इसलिए बुलाता है, ताकि वे असहाबे दोज़ख़ बन जाएं.
7. जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उनके लिए सख़्त अज़ाब है और जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, उनके लिए मग़फ़िरत और बड़ा अज्र है.
8. जिस शख़्स को उसके बुरे अमल आरास्ता करके दिखाए जाएं, फिर वह उन्हें अच्छा समझने लगे, क्या वह नेक काम करने वाले के बराबर हो सकता है. फिर बेशक अल्ल्लाह जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है हिदायत देता है. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! कहीं उनकी हसरत यानी फ़िक्र में तुम्हारी जान ही न चली जाए. बेशक अल्लाह उन आमाल से ख़ूब वाक़िफ़ है, जो वे लोग किया करते हैं.
9. और वह अल्लाह ही है, जो हवाओं को भेजता है, तो वे बादलों को उड़ाये फिरती हैं. फिर हम उन बादलों को बंजर इलाक़े की तरफ़ भेज देते हैं. फिर हम उसके ज़रिये मुर्दा ज़मीन को ज़िन्दा यानी बंजर ज़मीन को शादाब कर देते हैं. इसी तरह मुर्दों को ज़िन्दा होकर उठना है.
10. जो शख़्स इज़्ज़त चाहता है, तो सब इज़्ज़त अल्लाह ही के लिए है. उसी की बारगाह में पाकीज़ा कलाम पहुंचता है और वही नेक अमल को बुलंद करता है. और जो लोग मकर करते हैं, उनके लिए बहुत बुरा अज़ाब है और उनका यह मकर नाबूद हो जाएगा.
11. और वह अल्लाह ही है, जिसने तुम्हें पहले मिट्टी से पैदा किया. फिर नुत्फ़े से तुम्हें नर और मादा बनाया. और उसके इल्म के बग़ैर न कोई मादा हामिला होती है और न वह बच्चे को जन्म देती है और न किसी की उम्र ज़्यादा होती है और न किसी की उम्र कम की जाती है. यह सब किताब यानी लौहे-महफ़ूज़ में लिखा हुआ है. बेशक यह अल्लाह के लिए बहुत आसान है.
12. और दो समन्दर बराबर नहीं हो सकते. एक का पानी मीठा प्यास बुझाने वाला, ख़ुशगवार है और दूसरे का पानी खारा व कड़वा है. और तुम हर एक में से ताज़ा गोश्त खाते हो और अपने लिए ज़ेवर यानी मोती, मरजान और मूंगे वग़ैरह निकालते हो, जिन्हें तुम पहनते हो. और तुम उसमें कश्तियों और जहाज़ों को देखते हो, जो पानी को फाड़ते हुए चले जाते हैं, ताकि तुम तिजारत के ज़रिये अल्लाह का फ़ज़ल यानी रिज़्क़ तलाश करो और उसके शुक्रगुज़ार रहो.
13. अल्लाह ही रात को दिन में दाख़िल करता है और दिन को रात में दाख़िल करता है. और उसी ने सूरज और चांद को काम में लगा रखा है. हर एक सय्यारा अपने मुक़र्रर वक़्त पर चलता रहता है. वही अल्लाह तुम्हारा परवरदिगार है और उसी की तमाम बादशाहत है. ऐ मुशरिको ! और उसके सिवा तुम जिन्हें पुकारते हो, वे खजूर की गुठली के बारीक छिलके के बराबर भी इख़्तियार नहीं रखते.
14. अगर तुम उन्हें पुकारो, तो वह तुम्हारी पुकार को सुन नहीं सकते. और अगर सुन भी लें, तो तुम्हारी बात का जवाब नहीं दे सकते. और वे क़यामत के दिन तुम्हारे शिर्क से इनकार कर देंगे. और तुम्हें बाख़बर अल्लाह की तरह कोई ख़बर नहीं दे सकता.
15. ऐ इंसानो ! तुम सब अल्लाह के मोहताज हो और अल्लाह ही बेनियाज़ और सज़ावारे हम्दो सना है यानी तमाम तारीफ़ें अल्लाह ही के लिए हैं.
16. अगर वह चाहे तो तुम लोगों को नाबूद कर दे और एक नई ख़िलक़त आबाद कर दे. 
17. और अल्लाह के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है.
18. और कोई शख़्स किसी दूसरे के गुनाह का बोझ नहीं उठाएगा. अगर बोझ में दबा हुआ कोई शख़्स अपना बोझ बटाने के लिए किसी को बुलाएगा, तो वह कुछ भी नहीं उठा सकेगा, अगरचे वह उसका रिश्तेदार ही क्यों न हो. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम उन्हीं लोगों को नसीहत कर सकते हो, जो ग़ायबाना अपने परवरदिगार से डरते हैं और पाबंदी से नमाज़ पढ़ते हैं. और जो शख़्स पाकीज़गी हासिल करता है, तो वह अपने फ़ायदे के लिए ही पाक होता है. और सबको अल्लाह की तरफ़ ही लौटना है.
19. और नाबीना और आंखों वाले लोग बराबर नहीं हो सकते.
20. और न तारीकियां और नूर बराबर हो सकते हैं.
21 और न छांव और धूप बराबर हो सकते हैं.
22. और न ज़िन्दा लोग और मुर्दे बराबर हो सकते हैं. बेशक अल्लाह जिसे चाहता है, सुना देता है. और तुम उन्हें नहीं सुना सकते, जो क़ब्रों में दफ़न हैं.  
23. तुम सिर्फ़ ख़बरदार करने वाले हो.
24. बेशक हमने तुम्हें हक़ के साथ बशारत देने वाला और अज़ाब से ख़बरदार करने वाला पैग़म्बर बनाकर भेजा है. और कोई उम्मत ऐसी नहीं गुज़री, जिसके पास हमारा ख़बरदार करने वाला पैग़म्बर न आया हो.
25. और अगर वे लोग तुम्हें झुठलाएं, तो परवाह मत करो. बेशक तुमसे पहले के पैग़म्बरों को भी झुठलाया गया है. उनके पास भी उनके रसूल वाज़ेह निशानियां और सहीफ़े और रौशन किताबें लेकर आए थे.  
26. फिर हमने कुफ़्र करने वाले लोगों को अपने अज़ाब की गिरफ़्त में ले लिया. फिर हमसे इनकार किया जाना कैसा था. 
27. क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आसमान से पानी बरसाया. फिर हमने उसके ज़रिये रंग-बिरंगे फल व मेवे उगाए और पहाड़ों में मुख़्तलिफ़ रंगों की घाटियां हैं, कुछ सफ़ेद, कुछ सुर्ख़ और कुछ बिल्कुल गहरी स्याह हैं.
28. और इंसानों और जानवरों और चौपायों के भी इसी तरह मुख़्तलिफ़ रंग हैं. बेशक अल्लाह से उसके बन्दों में से सिर्फ़ वही ख़ौफ़ रखते हैं, जो इल्म वाले हैं. बेशक अल्लाह बड़ा ग़ालिब, बड़ा बख़्शने वाला है.
29. बेशक जो लोग अल्लाह की किताब की तिलावत करते हैं और पाबंदी से नमाज़ पढ़ते हैं और हमने जो कुछ उन्हें अता किया है उसमें से पोशीदा और ज़ाहिरी तौर पर अल्लाह की राह में ख़र्च करते हैं, वह उस तिजारत के उम्मीदवार हैं, जो कभी नुक़सान में नहीं होगी.
30. ताकि अल्लाह उन्हें पूरा अज्र दे और अपने फ़ज़ल से उन्हें मज़ीद अता करे. बेशक अल्लाह बड़ा बख़्शने वाला, बड़ा शुक्र क़ुबूल करने वाला है.
31. और हमने जो किताब यानी क़ुरआन तुम पर नाज़िल किया है, वह बरहक़ है और उससे पहले की किताबों की तसदीक़ करता है. बेशक अल्लाह बन्दों से बाख़बर है, उन्हें देखने वाला है.
32. फिर हमने उन लोगों को किताब यानी क़ुरआन का वारिस बनाया, जिन्हें अपने बन्दों में से मुंतख़िब किया.
उनमें से कुछ तो अपनी जानों पर ज़ुल्म करने वाले हैं. और कुछ दरम्यान में रहने वाले हैं और कुछ अल्लाह के हुक्म से नेकियों में आगे बढ़ जाने वाले हैं. यह अल्लाह का बहुत बड़ा फ़ज़ल है.
33. उन लोगों के लिए जन्नत के सदाबहार बाग़ हैं, जिनमें वे दाख़िल होंगे. उसमें उन्हें सोने और मोतियों के कंगन पहनाए जाएंगे और वहां उनका लिबास रेशम का होगा.
34. वे लोग कहेंगे कि अल्लाह ही सज़ावारे हम्दो सना है यानी तमाम तारीफ़ें अल्लाह ही के लिए हैं, जिसने हमें ग़म से निजात दी. बेशक हमारा परवरदिगार बड़ा बख़्शने वाला, शुक्र क़ुबूल करने वाला है.
35. जिस अल्लाह ने हमें अपने फ़ज़ल से दाइमी मक़ाम के घर में उतार दिया, जहां हमें न कोई तकलीफ़ पहुंचेगी और न थकान ही होगी.
36. और कुफ़्र करने वाले लोगों के लिए जहन्नुम की आग है. उन्हें न मौत आएगी कि वे मर जाएं और न उनके अज़ाब में कुछ कमी की जाएगी. इसी तरह हम हर कुफ़्र करने वाले को जज़ा दिया करते हैं.
37. और वे लोग जहन्नुम में पड़े चिल्लाएंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार ! हमें यहां से निकाल दे. अब हम नेक अमल करेंगे. उसे छोड़कर, जो कुछ हम किया करते थे. और उनसे कहा जाएगा कि क्या हमने तुम्हें इतनी उम्र नहीं दी थी कि तुम उसमें नसीहत हासिल करना चाहते, तो नसीहत हासिल कर लेते. तुम्हारे पास अज़ाब से ख़बरदार करने वाले पैग़म्बर भी आए थे. इसलिए अब अज़ाब का ज़ायक़ा चखो. फिर ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं होगा. 
38. बेशक अल्लाह ही आसमानों और ज़मीन की पोशीदा चीज़ों को जानने वाला है. वह दिलों में पोशीदा राज़ों से भी ख़ूब वाक़िफ़ है.
39. वह अल्लाह ही है, जिसने तुम्हें ज़मीन में गुज़श्ता लोगों का ख़लीफ़ा बनाया. फिर जिसने कुफ़्र किया, उसके कुफ़्र का वबाल उसी पर होगा. और काफ़िरों के हक़ में उनके कुफ़्र से उनके परवरदिगार के हुज़ूर में ग़ज़ब के सिवा कुछ नहीं बढ़ता. और काफ़िरों को उनका कुफ़्र नुक़सान ही पहुंचाता है.
40. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम उनसे कह दो कि क्या तुमने उन्हें देखा है, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, मुझे भी दिखाओ कि उन्होंने ज़मीन में कौन सी चीज़ पैदा की है या आसमानों की तख़लीक़ में उनकी कुछ शिरकत है. या हमने उन्हें कोई किताब दी है कि वे उसकी दलील रखते हैं, बल्कि ज़ालिम एक दूसरे से धोखे के सिवा कोई वादा नहीं करते.
41. बेशक अल्लाह ही आसमानों और ज़मीन को रोके हुए है कि कहीं वे अपनी जगह से हिल न जाएं. और अगर वे अपनी जगह से हट जाएं, तो उस अल्लाह के बाद कोई उन्हें रोक नहीं सकता. बेशक वह बड़ा हलीम, बड़ा बख़्शने वाला है.
42. और वे लोग अल्लाह की बड़ी क़समें खाते हैं कि अगर उनके पास कोई ख़बरदार करने वाला पैग़म्बर आएगा, तो वे हर एक उम्मत से ज़्यादा हिदायतयाफ़्ता होंगे. फिर जब उनके पास ख़बरदार करने वाले पैग़म्बर आए, तो उससे उनकी हक़ से नफ़रत में मज़ीद इज़ाफ़ा ही हुआ. 
43 उन्होंने ज़मीन में तकब्बुर किया और मक्कारी की. मक्कारी का वबाल मक्कार पर ही पड़ता है. वे पिछले लोगों की रविश यानी अज़ाब के सिवा किसी चीज़ के मुंतज़िर नहीं हैं. और तुम अल्लाह के दस्तूर में कोई तब्दीली नहीं पाओगे और न अल्लाह के दस्तूर को कभी टलते होते हुए देखोगे.    
44. क्या वे लोग ज़मीन में चले फिरे नहीं कि देखते कि उनका कैसा अंजाम हुआ, जो लोग उनसे पहले गुज़रे हैं. हालांकि वे क़ूवत में उनसे कहीं बढ़कर थे. और अल्लाह ऐसा नहीं है कि आसमानों और ज़मीन में कोई चीज़ उसे आजिज़ कर सके. बेशक वह बड़ा साहिबे इल्म बड़ा क़ुदरत वाला है.
45. और अगर अल्लाह लोगों को उनके आमाल की वजह से गिरफ़्त में लेने लगे, जो उन्होंने कमा रखे हैं, तो ज़मीन में एक भी चलने फिरने वाले को नहीं छोड़े, लेकिन उसने उन्हें एक मुक़र्रर वक़्त तक मोहलत दे रखी है. फिर जब उनका वक़्त आ पहुंचेगा, तो उन्हें उनके आमाल का पूरा-पूरा बदला दे दिया जाएगा. फिर बेशक अल्लाह अपने बन्दों को देखने वाला है.

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