सूरह अल लहब मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 5 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. अबु लहब के दोनों हाथ टूट गए और वह तबाह हो गया.
2. न उसका माल ही उसके काम आया और न वह, जो कुछ उसने कमाया.
3. अनक़रीब वह भड़कती हुई आग में डाला जाएगा.
4. और उसकी बीवी भी, जो कांटेदार लकड़ियों का बोझ सर पर उठाए फिरती है.
5. उसकी गर्दन में खजूर की रस्सी का फंदा होगा.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. अबु लहब के दोनों हाथ टूट गए और वह तबाह हो गया.
2. न उसका माल ही उसके काम आया और न वह, जो कुछ उसने कमाया.
3. अनक़रीब वह भड़कती हुई आग में डाला जाएगा.
4. और उसकी बीवी भी, जो कांटेदार लकड़ियों का बोझ सर पर उठाए फिरती है.
5. उसकी गर्दन में खजूर की रस्सी का फंदा होगा.
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