Monday, August 23, 2021

31 सूरह लुक़मान

सूरह लुक़मान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 34 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. अलिफ़ लाम मीम.
2. ये हिकमत वाली किताब की आयतें हैं.
3. जो मोहसिनों के लिए हिदायत और रहमत है,
4. जो लोग पाबंदी से नमाज़ पढ़ते हैं और ज़कात देते हैं और जो आख़िरत पर यक़ीन रखते हैं.
5. यही लोग अपने परवरदिगार की तरफ़ से हिदायत पर हैं और यही लोग कामयाबी पाने वाले हैं.
6. और कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बेहूदा बातें ख़रीदते हैं, ताकि बग़ैर किसी इल्म के लोगों को अल्लाह के रास्ते से भटका दें और उस राह का मज़ाक़ उड़ायें. इन्हीं लोगों के लिए रुसवा करने वाला अज़ाब है.  
7. और जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो वह तकब्बुर करते हुए मुंह फेर लेता है, गोया वह बहरा हो और उसने कुछ सुना ही नहीं, तो तुम उसे दर्दनाक अज़ाब की ख़बर दे दो.
8. बेशक जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, उनके लिए जन्नत के नेअमत वाले बाग़ हैं.
9. वे हमेशा उनमें रहेंगे. अल्लाह का वादा बरहक़ है. और वह बड़ा ग़ालिब बड़ा हिकमत वाला है.
10. अल्लाह ने आसमानों को बग़ैर सुतूनों के बनाया है, जैसा कि तुम उन्हें देख रहे हो. और उसने ज़मीन में पहाड़ रख दिए, ताकि वह तुम्हें हिला न दे. और उसने इसमें हर क़िस्म के जानवर फैला दिए. और हमने ही आसमान से पानी बरसाया और फिर उसमें हर क़िस्म की उम्दा चीज़ें उगाईं.   
11. यह अल्लाह की ख़िलक़त हैं. फिर ऐ मुशरिको ! तुम हमें दिखाओ के अल्लाह के सिवा दूसरों ने क्या पैदा किया है, बल्कि ज़ालिम सरीह गुमराही में मुब्तिला हैं.
12. और बेशक हमने लुक़मान को हिकमत व दानाई बख़्शी कि अल्लाह का शुक्र अदा करो. और जो अल्लाह का शुक्र अदा करता है, तो वह अपने भले के लिए शुक्र अदा करता है. और जो नाशुक्री करता है, तो बेशक अल्लाह बेनियाज़ है, सज़ावारे हम्दो सना है यानी तमाम तारीफ़ें अल्लाह ही के लिए हैं.  
13. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! और याद करो कि जब लुक़मान ने अपने बेटे को नसीहत करते हुए कहा कि ऐ मेरे बेटे ! अल्लाह के साथ शिर्क नहीं करना. बेशक शिर्क बहुत बड़ा ज़ुल्म है.
14. और हमने इंसान को उसके वालिदैन के मामले में नेकी करने का हुक्म दिया कि उसकी मां ने तकलीफ़ पर तकलीफ़ बर्दाश्त करके उसे पेट में रखा और दो बरस में उसका दूध छुड़ाया. तुम हमारा शुक्र अदा करते रहो और अपने वालिदैन का भी शुक्र अदा करो. तुम्हें हमारी तरफ़ ही लौटना है.   
15. और अगर वे दोनों तुम्हारे घर पर हों और हमारे साथ किसी को शरीक करें, जिसका तुम्हें कोई इल्म न हो, तो उनका कहना मत मानना. और दुनिया में उनका अच्छी तरह साथ देना और जो हमारी तरफ़ रुजू करे, तो उसके रास्ते पर चलना. फिर तुम्हें हमारी तरफ़ ही लौटना है. हम तुम्हें उन आमाल से आगाह कर देंगे, जो तुम किया करते हो.   
16. लुक़मान ने अपने बेटे से कहा कि ऐ मेरे बेटे ! बेशक अगर कोई अमल राई के दाने के बराबर हो, अगरचे वह किसी पहाड़ के अंदर पोशीदा हो या आसमान में हो या ज़मीन में हो, तब भी अल्लाह क़यामत के दिन हिसाब के लिए उसे हाज़िर कर देगा. बेशक अल्लाह बड़ा लतीफ़ बड़ा बाख़बर है.
17. लुक़मान ने अपने बेटे से कहा कि ऐ मेरे बेटे ! तुम पाबंदी से नमाज़ पढ़ना. और लोगों को अच्छाई की ताकीद करना और बुराई से रोकना. और तकलीफ़ पहुंचने पर सब्र करना. और बेशक ये बड़ी हिम्मत के काम हैं.
18. और लोगों से मुंह न बनाना और ज़मीन पर अकड़ कर मत चलना. बेशक अल्लाह किसी इतराने वाले शेख़ीबाज़ को पसंद नहीं करता.
19. और चाल दरमियाना और आवाज़ धीमी रखना. बेशक सबसे बुरी आवाज़ गधों की है.  
20. ऐ लोगो ! क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने तमाम चीज़ों को तुम्हारे काम में लगा रखा है, जो कुछ आसमानों और जो कुछ ज़मीन में हैं. और उसने अपनी ज़ाहिरी और पोशीदा नेअमतें तुम पर पूरी कर दी हैं. और कुछ लोग ऐसे हैं, जो अल्लाह के बारे में झगड़ा करते हैं बग़ैर किसी इल्म के और बग़ैर हिदायत के और बग़ैर रौशन किताब की दलील के.   
21. और जब उनसे कहा जाता है कि अल्लाह की तरफ़ से नाज़िल हुई किताब की पैरवी करो, तो वे कहते हैं कि हम तो उसी की पैरवी करेंगे, जिसे हमारे बाप दादा मानते थे. और अगरचे शैतान उन्हें दोज़ख़ के अज़ाब की तरफ़ बुलाता रहे.
22. और जो अल्लाह की इताअत की तरफ़ अपना रुख़ झुका दे और मोहसिन यानी नेक भी हो, तो उसने मज़बूत सहारा थाम लिया. और सब कामों का अंजाम अल्लाह ही की तरफ़ है. 
23. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! और जो कुफ़्र करे, तो उसका कुफ़्र तुम्हें ग़मगीन न कर दे. उन्हें हमारी तरफ़ ही लौटना है. फिर हम उन्हें उन आमाल से आगाह कर देंगे, जो वे लोग किया करते हैं. बेशक अल्लाह दिलों में पोशीदा राज़ों से भी ख़ूब वाक़िफ़ है. 
24. हम उन्हें दुनिया में थोड़ा सा फ़ायदा पहुंचाएंगे और फिर हम उन्हें मजबूर करके सख़्त अज़ाब की तरफ़ ले जाएंगे. 
25. और अगर तुम उन लोगों से दरयाफ़्त करोगे कि आसमानों और ज़मीन की किसने तख़लीक़ की है, तो वे ज़रूर कह देंगे कि अल्लाह ने की है. तुम कह दो कि अल्लाह ही सज़ावारे हम्दो सना है यानी तमाम तारीफ़ें अल्लाह ही के लिए हैं, बल्कि उनमें से बहुत से लोग नहीं जानते.
26. जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है, सब अल्लाह ही का है. बेशक अल्लाह बेनियाज़ है, सज़ावारे हम्दो सना है यानी तमाम तारीफ़ें अल्लाह ही के लिए हैं.
27. और अगर ज़मीन में जितने भी दरख़्त हैं, उन सबकी क़लम हों और समन्दर के सारे पानी की रौशनाई हो. उसके बाद सातों समन्दरों का पानी भी मज़ीद बढ़ा दिया जाए. फिर अल्लाह की अज़मत के बारे में लिखा जाए, तब भी कलाम ख़त्म नहीं होगा. बेशक अल्लाह बड़ा ग़ालिब बड़ा हिकमत वाला है.
28. अल्लाह के लिए तुम सबको पैदा करना और उठाना यानी ज़िन्दा करना एक जान के बराबर है. बेशक अल्लाह ख़ूब सुनने वाला ख़ूब देखने वाला है.
29. क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ही रात को दिन में दाख़िल करता है और दिन को रात में दाख़िल करता है. उसने सूरज और चांद को काम में लगा रखा है. हर एक अपने मुक़र्रर वक़्त पर चल रहा है. और यह कि जो आमाल तुम किया करते हो, अल्लाह उनसे बाख़बर है. 
30. यह इसलिए है कि अल्लाह बरहक़ है. और जिन्हें वे लोग अल्लाह के सिवा पुकारते हैं, वे सब बातिल हैं. और बेशक अल्लाह बड़ा आला मर्तबा बड़ा कबीर है.
31. क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ही की नेअमत से कश्तियां समन्दरों में चलती हैं, ताकि वह तुम्हें अपनी निशानियां दिखाए. बेशक इसमें हर सब्र और शुक्र करने वाले के लिए निशानियां हैं.
32. और जब समन्दर की मौजें उन पर पहाड़ों या बादलों के साये की मानिन्द छा जाती हैं, तो वे काफ़िर और मुशरिक अल्लाह को पुकारते हैं और उसकी ख़ालिस इबादत करने लगते हैं. फिर जब वह उन्हें बचाकर ख़ुश्की यानी किनारे पर पहुंचा देता है, तो उनमें से कुछ लोग अक़ीदे पर क़ायम रहते हैं. हमारी आयतों से कोई इनकार नहीं करता सिवाय अहद तोड़ने वाले और कुफ़्र करने वाले के.  
33. ऐ इंसानो ! अपने परवरदिगार से डरो और उस दिन का ख़ौफ़ करो जब न बाप अपने बेटे के कुछ काम आएगा और न बेटा बाप के काम आ सकेगा. बेशक अल्लाह का वादा बरहक़ है. फिर दुनियावी ज़िन्दगी तुम्हें हरगिज़ धोखे में न डाल दे और न फ़रेब देने वाला शैतान तुम्हें अल्लाह के बारे में किसी तरह का धोखा दे. 
34. बेशक अल्लाह ही को क़यामत का इल्म है. और वही बारिश बरसाता है. और वही पेट की चीज़ों को जानता है. और कोई नहीं जानता कि वह कल क्या करेगा. और कोई नहीं जानता कि किस सरज़मीन में उसे मौत आएगी. बेशक अल्लाह बड़ा साहिबे इल्म बड़ा बाख़बर है. 

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