Tuesday, July 6, 2021

79 सूरह अन नाज़ियात

सूरह अन नाज़ियात मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 46 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो सख़्ती से रूह खींच लेते हैं.  
2. और क़सम है उन फरिश्तों की, जो आसानी से रूह निकालते हैं. 
3. और क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो आसमान और ज़मीन के दरम्यान फिरते रहते हैं.
4. फिर क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो तेज़ी से सबक़त करते हैं. यानी लपक कर एक दूसरे से आगे बढ़ जाते हैं.
5. फिर क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो मुख़्तलिफ़ कामों की तदबीर करते हैं.
6. जिस दिन ज़लज़ला आएगा और हर चीज़ हिलने लगेगी.
7. फिर उसके बाद एक और ज़लज़ला आएगा.
8. उस दिन लोगों के दिल ख़ौफ़ की वजह से ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहे होंगे.
9. उनकी आंखें ख़ौफ़ से झुकी होंगी.
10. काफ़िर कहते हैं कि क्या हम पहले वाली हालत में लौटा दिए जाएंगे?
11. क्या जब हम बोसीदा हड्डियां हो जाएंगे, तब भी ज़िन्दा कर दिए जाएंगे? 
12. वे कहते हैं कि यह लौटना तो उस वक़्त बड़ा नुक़सानदेह होगा.
13. फिर बेशक वह एक ख़ौफ़नाक सख़्त आवाज़ होगी,
14. फिर वे सब लोग मैदाने हश्र में जमा होंगे.
15. क्या तुम्हें मूसा अलैहिस्सलाम की ख़बर मिली ?
16. जब उनके परवरदिगार ने उन्हें तूवा की मुक़द्दस वादी में आवाज़ दी थी.
17. और उन्हें हुक्म दिया कि फ़िरऔन के पास जाओ, वह सरकश हो गया है.
18. फिर उससे कहो कि क्या तू पाकीज़गी इख़्तियार करना चाहता है.
19. और क्या मैं तेरे परवरदिगार की तरफ़ से तेरी रहनुमाई करूं, ताकि तुझे उससे कुछ ख़ौफ़ हो.
20. फिर मूसा अलैहिस्सलाम ने उसे बड़ी निशानी दिखाई.
21. तो उसने झुठला दिया और नाफ़रमानी की.
22. फिर वह लौट गया और तदबीर करने लगा.
23. फिर उसने लोगों को जमा किया और बुलंद आवाज़ में चीख़ा.
24. फिर वह कहने लगा कि मैं तुम्हारा सबसे आला परवरदिगार हूं.
25. फिर अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया के अज़ाब में गिरफ़्तार कर लिया.
26. बेशक इस वाक़िये में उस शख़्स के लिए इबरत है, जो अल्लाह से ख़ौफ़ रखता है.
27. क्या तुम्हें पैदा करना ज़्यादा मुश्किल है या आसमान की तख़लीक़ करना. अल्लाह ही ने उसे बनाया है.
28. अल्लाह ने आसमानी छत को ख़ूब बुलंद किया. फिर उसे संवारा.
29. और अल्लाह ही ने आसमानी ख़ला की रात को तारीक बनाया और दिन को धूप से रौशन किया.
30. और अल्लाह ही ने उसके बाद ज़मीन को बिछाया.
31. अल्लाह ही ने ज़मीन में से पानी निकाला और चारा उगाया.
32. और अल्लाह ही ने पहाड़ों को उसमें रख दिया.
33. ये सब तुम्हारे और तुम्हारे चौपायों के फ़ायदे के लिए किया.
34. फिर जब बड़ी मुसीबत आएगी. यानी क़यामत आएगी.
35. उस दिन इंसान अपनी हर कोशिश और अमल को याद करेगा.
36. और देखने वालों के सामने जहन्नुम ज़ाहिर कर दी जाएगी.
37. फिर जिस शख़्स ने सरकशी की होगी.
38. और दुनियावी ज़िन्दगी को तरजीह दी होगी,
39. तो बेशक जहन्नुम ही उसका ठिकाना होगा.
40. और जो शख़्स अपने परवरदिगार के सामने खड़ा होने से डरता रहा और ख़ुद को बेजा ख़्वाहिशों से रोकता रहा,
41. तो बेशक जन्नत ही उसका ठिकाना होगा.
42. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! लोग तुमसे सवाल करते हैं कि क़यामत कब बरपा होगी? 
43. तो तुम क़यामत के ज़िक्र से किस फ़िक्र में मुब्तिला हो गए.
44. उसकी इंतिहा तो सिर्फ़ तुम्हारा परवरदिगार ही जानता है.
45. बेशक तुम सिर्फ़ उस शख़्स को ख़बरदार करने वाले हो, जो उससे ख़ौफ़ज़दा है.
46. गोया जिस दिन लोग उसे देख लेंगे, तो गुमान करेंगे कि वे दुनिया में बस एक शाम या उसकी एक सुबह के सिवा ठहरे ही नहीं थे.

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