Wednesday, July 7, 2021

78 सूरह अन नबा

सूरह अन नबा मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 40 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. ये लोग आपस में किस चीज़ के बारे में सवाल कर रहे हैं?
2. क्या उस बड़ी ख़बर के बारे में पूछ रहे हैं. 
3. जिसके बारे में वे लोग इख़्तिलाफ़ करते हैं
4. देखो कि वे अनक़रीब उसकी हक़ीक़त जान लेंगे.
5. फिर देखो कि वे अनक़रीब उसकी हक़ीक़त जान लेंगे.
6. क्या हमने ज़मीन को क़याम की जगह नहीं बनाया.
7. और हमने पहाड़ों को उसकी मेख़ें बनाया. यानी उन्हें उभार कर खड़ा किया.
8. और हमने तुम्हें जोड़ों में पैदा किया,
9. और हमने तुम्हारी नींद को आराम देने वाला बनाया.
10. और हमने रात को लिबास बनाया. यानी रात की तारीकी सब चीज़ों को ढक देती है.
11. और हमने दिन को रोज़ी तलाशने का वक़्त क़रार दिया.
12. और हमने तुम्हारे ऊपर तबक़ दर तबक़ सात मज़बूत आसमान बनाए.
13. और हमने सूरज को चमकता हुआ रौशन चिराग़ बनाया.
14. और हमने बादलों से मूसलाधार पानी बरसाया,
15. ताकि हम उसके ज़रिये ज़मीन से अनाज और सब्ज़ियां उगाएं.
16. और घने बाग़ उगाएं.
17. बेशक फ़ैसले का दिन एक मुक़र्रर वक़्त है.
18. जिस दिन सूर फूंका जाएगा, तो तुम लोग फ़ौज दर फ़ौज अल्लाह के हुज़ूर में पेश होने के लिए चले आओगे. 
19. और तमाम आसमान खोल दिए जाएंगे, तो उनमें दरवाज़े ही दरवाज़े बन जाएंगे.
20. और पहाड़ चलाए जाएंगे, तो वे सराब जैसे हो जाएंगे. यानी पहाड़ गर्द व गु़बार बनाकर उड़ाए जाएंगे.   
21. बेशक जहन्नुम ताक में है.
22. वह सरकशों का ठिकाना है.
23. वे लोग उसमें मुद्दतें गुज़ारेंगे.
24. वे उसमें न ठंडक का ज़ायक़ा चखेंगे और न पीने का.
25. उसमें खौलते हुए गरम पानी और पीप के सिवा पीने को कुछ न मिलेगा.
26. ये उनके बुरे आमाल का बदला है.
27. बेशक वे लोग आख़िरत के हिसाब की उम्मीद नहीं रखते थे.
28. और वे लोग हमारी आयतों को झुठलाया करते थे.
29. और हमने हर चीज़ को लिखकर महफ़ूज़ कर लिया है.
30. ऐ मुनकिरो ! अब तुम अपने बुरे अपने आमाल का ज़ायक़ा चखो. हम तुम पर अज़ाब को बढ़ाते जाएंगे.
31. बेशक परहेज़गारों के लिए कामयाबी है.
32. उनके लिए जन्नत के बाग़ और अंगूर होंगे
33. और हमउम्र बीवियां होंगी
34. और शर्बत के छलकते हुए जाम होंगे. 
35. वहां ये लोग न कोई बेहूदा बात सुनेंगे और न झूठी बातें होंगी.
36. ये तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से जज़ा है, जो तुम्हारे आमाल के हिसाब से अता की जाएगी. 
37. वह आसमानों और ज़मीन और जो कुछ इनके दोनों के दरम्यान है, सबका परवरदिगार है. वह बड़ा मेहरबान है, लेकिन क़यामत के दिन उसके जलाल का ये आलम होगा कि उसके सामने बात करने की किसी की हिम्मत नहीं होगी.
38. जिस दिन रूहुल अमीन यानी जिब्रईल अलैहिस्सलाम और फ़रिश्ते क़तार दर क़तार हाज़िर होंगे, उस दिन कोई लब कुशाई नहीं कर सकेगा. सिवाय उसके, जिसे मेहरबान अल्लाह बोलने की इजाज़त दे और जिसने ज़िन्दगी में परहेज़गारी इख़्तियार की हो और सही बात कही हो. 
39. यह दिन बरहक़ है. फिर जो शख़्स चाहे अपने परवरदिगार के पास ठिकाना बना ले.
40. बेशक हमने तुम्हें अनक़रीब आने वाले अज़ाब से ख़बरदार कर दिया है. जिस दिन हर आदमी अपने उन आमाल को देखेगा, जो उसने पहले भेजे होंगे. और काफ़िर कहेगा- काश ! मैं ख़ाक हो जाता.

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