सूरह अ ब स मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 42 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. उनके मुक़द्दस चेहरे पर नागवारी छाई और रुख़ फेर लिया,
2. इसलिए कि उनके पास एक नाबीना आया था. यानी वह उन्हें बार-बार टोक रहा था, जिससे उन्हें परेशानी हो रही थी. और उन्होंने उसकी तरफ़ से रुख़ फेर लिया, ताकि उसे अपनी ग़लती का अहसास हो.
3. और क्या तुम जानते हो कि शायद वह तुम्हारी तवज्जो से पाकीज़गी हासिल कर लेता.
4. या तुम्हारी नसीहत क़ुबूल करता, तो नसीहत उसे नफ़ा ही देती.
5. लेकिन जो बेपरवाह है.
6. तो तुम उसकी तरफ़ ज़्यादा तवज्जो देते हो.
7. और तुम पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं है. अगर वह पाकीज़गी इख़्तियार न भी करे.
8. और जो तुम्हारे पास कोशिश करते हुए आया
9. और वह अपने परवरदिगार से ख़ौफ़ भी रखता है,
10. तो तुम उससे बेरुख़ी करते हो.
11. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! जान लो कि बेशक यह क़ुरआन तो नसीहत है.
12. फिर जो चाहे, इसे क़ुबूल करे.
13. यह बहुत मुअज़्ज़िज़ सहीफ़ों में लिखा हुआ है.
14. जो निहायत बुलंदी वाले और पाकीज़ा हैं.
15. यह ऐसे लिखने वालों के हाथों में है,
16. जो बड़े मुअज़्ज़िज़ और नेक हैं.
17. अल्लाह की मार हो ऐसे नाशुक्रे इंसान पर. यानी जो क़ुरआन जैसी अज़ीम नेअमत पाकर भी उसकी क़द्र नहीं करता और नाशुक्रा बन जाता है.
18. अल्लाह ने उसे किस चीज़ से पैदा किया है?
19. नुत्फ़े से उसे पैदा किया. फिर उसका अंदाज़ा मुक़र्रर कर दिया.
20. फिर उसके लिए रास्ता आसान कर दिया.
21. फिर उसे मौत दी और उसे क़ब्र में दफ़न कर दिया.
22. फिर वह जब चाहेगा, उसे दोबारा ज़िन्दा करके खड़ा कर देगा.
23. बेशक उस नाफ़रमान इंसान ने उसकी तामील नहीं की, जिसका उसे अल्लाह ने हुक्म दिया था.
24. फिर इंसान अपनी ग़िज़ा की तरफ़ देखे और ग़ौर करे.
25. बेशक हमने ख़ूब पानी बरसाया.
26. फिर हमने ज़मीन को अच्छी तरह शिगाफ़्ता किया.
27. फिर हमने उसमें अनाज उगाया.
28. और अंगूर और तरकारियां
29. और ज़ैतून और खजूर
30. और घने बाग़
31. और फल व मेवे और चारा उगाया
32. ये सब कुछ तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के इस्तेमाल के लिए उगाया.
33. फिर जब एक सख़्त चीख़ की आवाज़ आएगी.
34. उस दिन आदमी अपने भाई से भागेगा
35. और अपनी मां और अपने वालिद से
36. और अपनी बीवी और अपनी औलाद से भी दूर भागेगा.
37. उस दिन हर शख़्स सिर्फ़ अपनी ही फ़िक्र में लगा होगा.
38. उस दिन बहुत से चेहरे रौशन होंगे.
39. वे मुस्कराते हुए और ख़ुशनुमा होंगे.
40. और उस दिन बहुत से चेहरों पर गर्द व गु़बार पड़ी होगी,
41. उन पर स्याही छाई होगी.
42. यही लोग काफ़िर और बदकार होंगे.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. उनके मुक़द्दस चेहरे पर नागवारी छाई और रुख़ फेर लिया,
2. इसलिए कि उनके पास एक नाबीना आया था. यानी वह उन्हें बार-बार टोक रहा था, जिससे उन्हें परेशानी हो रही थी. और उन्होंने उसकी तरफ़ से रुख़ फेर लिया, ताकि उसे अपनी ग़लती का अहसास हो.
3. और क्या तुम जानते हो कि शायद वह तुम्हारी तवज्जो से पाकीज़गी हासिल कर लेता.
4. या तुम्हारी नसीहत क़ुबूल करता, तो नसीहत उसे नफ़ा ही देती.
5. लेकिन जो बेपरवाह है.
6. तो तुम उसकी तरफ़ ज़्यादा तवज्जो देते हो.
7. और तुम पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं है. अगर वह पाकीज़गी इख़्तियार न भी करे.
8. और जो तुम्हारे पास कोशिश करते हुए आया
9. और वह अपने परवरदिगार से ख़ौफ़ भी रखता है,
10. तो तुम उससे बेरुख़ी करते हो.
11. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! जान लो कि बेशक यह क़ुरआन तो नसीहत है.
12. फिर जो चाहे, इसे क़ुबूल करे.
13. यह बहुत मुअज़्ज़िज़ सहीफ़ों में लिखा हुआ है.
14. जो निहायत बुलंदी वाले और पाकीज़ा हैं.
15. यह ऐसे लिखने वालों के हाथों में है,
16. जो बड़े मुअज़्ज़िज़ और नेक हैं.
17. अल्लाह की मार हो ऐसे नाशुक्रे इंसान पर. यानी जो क़ुरआन जैसी अज़ीम नेअमत पाकर भी उसकी क़द्र नहीं करता और नाशुक्रा बन जाता है.
18. अल्लाह ने उसे किस चीज़ से पैदा किया है?
19. नुत्फ़े से उसे पैदा किया. फिर उसका अंदाज़ा मुक़र्रर कर दिया.
20. फिर उसके लिए रास्ता आसान कर दिया.
21. फिर उसे मौत दी और उसे क़ब्र में दफ़न कर दिया.
22. फिर वह जब चाहेगा, उसे दोबारा ज़िन्दा करके खड़ा कर देगा.
23. बेशक उस नाफ़रमान इंसान ने उसकी तामील नहीं की, जिसका उसे अल्लाह ने हुक्म दिया था.
24. फिर इंसान अपनी ग़िज़ा की तरफ़ देखे और ग़ौर करे.
25. बेशक हमने ख़ूब पानी बरसाया.
26. फिर हमने ज़मीन को अच्छी तरह शिगाफ़्ता किया.
27. फिर हमने उसमें अनाज उगाया.
28. और अंगूर और तरकारियां
29. और ज़ैतून और खजूर
30. और घने बाग़
31. और फल व मेवे और चारा उगाया
32. ये सब कुछ तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के इस्तेमाल के लिए उगाया.
33. फिर जब एक सख़्त चीख़ की आवाज़ आएगी.
34. उस दिन आदमी अपने भाई से भागेगा
35. और अपनी मां और अपने वालिद से
36. और अपनी बीवी और अपनी औलाद से भी दूर भागेगा.
37. उस दिन हर शख़्स सिर्फ़ अपनी ही फ़िक्र में लगा होगा.
38. उस दिन बहुत से चेहरे रौशन होंगे.
39. वे मुस्कराते हुए और ख़ुशनुमा होंगे.
40. और उस दिन बहुत से चेहरों पर गर्द व गु़बार पड़ी होगी,
41. उन पर स्याही छाई होगी.
42. यही लोग काफ़िर और बदकार होंगे.
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