सूरह अल मुरसलात मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 50 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है उन ख़ुशगवार हवाओं की, जो पहले हौले-हौले चलती हैं,
2. फिर क़सम है उन हवाओं की, जो तेज़ झोंकों से चलती हैं,
3. और क़सम है उन हवाओं की, जो बादलों को उड़ाये-उड़ाये फिरती हैं,
4. और क़सम है उन हवाओं की, जो उन्हें जुदा-जुदा कर देती हैं.
5. फिर क़सम है, उन फ़रिश्तों की, जो वही लाते हैं,
6. जो वही पैग़ाम देने या ख़बरदार करने के लिए होती है.
7. बेशक जिसका तुमसे वादा किया जाता है, वह क़यामत वाक़े होकर रहेगी.
8. फिर जब सितारे बुझा दिए जाएंगे.
9. और जब आसमान शिगाफ़्ता हो जाएंगे.
10. और जब पहाड़ रेज़ा-रेज़ा करके उड़ाए जाएंगे.
11. और जब सब रसूल मुक़र्रर वक़्त पर अपनी-अपनी उम्मतों की गवाही के लिए जमा होंगे.
12. भला किस दिन के लिए इसे टाला गया.
13. फ़ैसले के दिन के लिए.
14. और क्या तुम जानते हो कि फ़ैसले का दिन क्या है?
15. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
16. क्या हमने पहले के झुठलाने वाले लोगों को हलाक नहीं कर दिया था?
17. फिर हम उनके बाद के लोगों को भी उनके पीछे भेज देंगे.
18. हम गुनाहगारों के साथ ऐसा ही सुलूक किया करते हैं.
19. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
20. क्या हमने तुम्हें हक़ीर पानी से पैदा नहीं किया.
21. फिर हमने उसे एक महफ़ूज़ जगह रखा.
22. एक मुक़र्रर वक़्त तक.
23. फिर हमने उसका एक अंदाज़ा मुक़र्रर किया. फिर हम क्या ख़ूब अंदाज़ा मुक़र्रर करने वाले हैं.
24. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
25. क्या हमने ज़मीन को समेट लेने वाली नहीं बनाया,
26. ज़िन्दा को और मुर्दों को समेटने वाली.
27. और हमने उसमें बुलंद और मज़बूत पहाड़ रख दिए और हमने तुम्हें चश्मों के ज़रिये ठंडा व मीठा पानी पिलाया.
28. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
29. अब तुम उस अज़ाब की तरफ़ चलो, जिसे तुम झुठलाया करते थे.
30. तुम दोज़ख़ के धुयें के साये की तरफ़ चलो, जिसके तीन हिस्से हैं,
31. जो न ठंडा साया है और न आग की तपिश से बचाने वाला है.
32. बेशक वह दोज़ख़ बुलंद महलों की तरह आग के बड़े-बड़े शोले और चिंगारियां उड़ाती है.
33. गोया वे शोले ज़र्द रंग के ऊंट हैं.
34. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
35. उस दिन लोग होंठ तक नहीं हिला सकेंगे.
36. और न उन्हें इजाज़त दी जाएगी कि वे माज़रत कर सकें.
37. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
38. ये फ़ैसले का दिन है, जिसमें हम तुम्हें और तुमसे पहले के लोगों को जमा करेंगे.
39. फिर अगर तुम्हारे पास अज़ाब से बचने की कोई चाल है, तो चल लो.
40. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
41. बेशक परहेज़गार ठंडी छांव और चश्मों में सुकून से होंगे.
42. और फल और मेवे जिसकी वे ख़्वाहिश करेंगे, उनके लिए मौजूद होंगे.
43. उनसे कहा जाएगा कि तुम ख़ूब मज़े से खाओ और पियो. उन आमाल के बदले जो तुम किया करते थे.
44. बेशक हम नेक लोगों को ऐसा ही सिला दिया करते हैं.
45. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
46. ऐ मुनकिरो ! तुम कुछ वक़्त खा लो और फ़ायदा उठा लो. बेशक तुम गुनाहगार हो.
47. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
48. और जब उनसे कहा जाता है कि तुम अल्लाह की बारगाह में झुको, तो वे नहीं झुकते.
49. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
50. फिर वे लोग इस क़ुरआन के बाद अब किस हदीस पर ईमान लाएंगे? यानी किस बात पर ईमान लाएंगे.
अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है उन ख़ुशगवार हवाओं की, जो पहले हौले-हौले चलती हैं,
2. फिर क़सम है उन हवाओं की, जो तेज़ झोंकों से चलती हैं,
3. और क़सम है उन हवाओं की, जो बादलों को उड़ाये-उड़ाये फिरती हैं,
4. और क़सम है उन हवाओं की, जो उन्हें जुदा-जुदा कर देती हैं.
5. फिर क़सम है, उन फ़रिश्तों की, जो वही लाते हैं,
6. जो वही पैग़ाम देने या ख़बरदार करने के लिए होती है.
7. बेशक जिसका तुमसे वादा किया जाता है, वह क़यामत वाक़े होकर रहेगी.
8. फिर जब सितारे बुझा दिए जाएंगे.
9. और जब आसमान शिगाफ़्ता हो जाएंगे.
10. और जब पहाड़ रेज़ा-रेज़ा करके उड़ाए जाएंगे.
11. और जब सब रसूल मुक़र्रर वक़्त पर अपनी-अपनी उम्मतों की गवाही के लिए जमा होंगे.
12. भला किस दिन के लिए इसे टाला गया.
13. फ़ैसले के दिन के लिए.
14. और क्या तुम जानते हो कि फ़ैसले का दिन क्या है?
15. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
16. क्या हमने पहले के झुठलाने वाले लोगों को हलाक नहीं कर दिया था?
17. फिर हम उनके बाद के लोगों को भी उनके पीछे भेज देंगे.
18. हम गुनाहगारों के साथ ऐसा ही सुलूक किया करते हैं.
19. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
20. क्या हमने तुम्हें हक़ीर पानी से पैदा नहीं किया.
21. फिर हमने उसे एक महफ़ूज़ जगह रखा.
22. एक मुक़र्रर वक़्त तक.
23. फिर हमने उसका एक अंदाज़ा मुक़र्रर किया. फिर हम क्या ख़ूब अंदाज़ा मुक़र्रर करने वाले हैं.
24. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
25. क्या हमने ज़मीन को समेट लेने वाली नहीं बनाया,
26. ज़िन्दा को और मुर्दों को समेटने वाली.
27. और हमने उसमें बुलंद और मज़बूत पहाड़ रख दिए और हमने तुम्हें चश्मों के ज़रिये ठंडा व मीठा पानी पिलाया.
28. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
29. अब तुम उस अज़ाब की तरफ़ चलो, जिसे तुम झुठलाया करते थे.
30. तुम दोज़ख़ के धुयें के साये की तरफ़ चलो, जिसके तीन हिस्से हैं,
31. जो न ठंडा साया है और न आग की तपिश से बचाने वाला है.
32. बेशक वह दोज़ख़ बुलंद महलों की तरह आग के बड़े-बड़े शोले और चिंगारियां उड़ाती है.
33. गोया वे शोले ज़र्द रंग के ऊंट हैं.
34. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
35. उस दिन लोग होंठ तक नहीं हिला सकेंगे.
36. और न उन्हें इजाज़त दी जाएगी कि वे माज़रत कर सकें.
37. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
38. ये फ़ैसले का दिन है, जिसमें हम तुम्हें और तुमसे पहले के लोगों को जमा करेंगे.
39. फिर अगर तुम्हारे पास अज़ाब से बचने की कोई चाल है, तो चल लो.
40. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
41. बेशक परहेज़गार ठंडी छांव और चश्मों में सुकून से होंगे.
42. और फल और मेवे जिसकी वे ख़्वाहिश करेंगे, उनके लिए मौजूद होंगे.
43. उनसे कहा जाएगा कि तुम ख़ूब मज़े से खाओ और पियो. उन आमाल के बदले जो तुम किया करते थे.
44. बेशक हम नेक लोगों को ऐसा ही सिला दिया करते हैं.
45. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
46. ऐ मुनकिरो ! तुम कुछ वक़्त खा लो और फ़ायदा उठा लो. बेशक तुम गुनाहगार हो.
47. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
48. और जब उनसे कहा जाता है कि तुम अल्लाह की बारगाह में झुको, तो वे नहीं झुकते.
49. उस दिन झुठलाने वाले लोगों के लिए तबाही है.
50. फिर वे लोग इस क़ुरआन के बाद अब किस हदीस पर ईमान लाएंगे? यानी किस बात पर ईमान लाएंगे.
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