Sunday, July 18, 2021

67 सूरह अल मुल्क

सूरह अल मुल्क मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 30 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. अल्लाह बड़ा बारकत है, जिसके हाथ में तमाम आलमों की बादशाहत है और वह हर चीज़ पर क़ादिर है.
2. जिसने मौत और ज़िन्दगी को पैदा किया, ताकि तुम्हें आज़माये कि तुममें से कौन अच्छे अमल करता है. और वह बड़ा ग़ालिब बड़ा बख़्शने वाला है. 
3. जिसने तबक़ दर तबक़ सात आसमान बनाए. तुम मेहरबान अल्लाह की तख़लीक़ में कोई फ़र्क़ नहीं देखोगे. तुम निगाह उठाकर देखो कि क्या तुम्हें उसकी तख़लीक़ में कोई शिगाफ़ नज़र आती है.
4. फिर तुम उसकी तख़लीक़ को निगाह उठाकर देखो, तो हर बार निगाह कोई भी नुक़्स तलाश करने में नाकाम होकर और थक कर तुम्हारी तरफ़ लौट आएगी.
5. और बेशक हमने दुनिया के आसमान को चांद, सूरज और सितारों से सजाया. और हमने उन्हें शैतानों को मारने का ज़रिया बनाया और उनके लिए दहकती हुई आग का अज़ाब तैयार कर रखा है. 
6. और जिन लोगों ने अपने परवरदिगार को मानने से इनकार किया, उनके लिए जहन्नुम का अज़ाब है और वह बहुत बुरी जगह है. 
7. जब वे लोग जहन्नुम में डाले जाएंगे, तो उसकी बड़ी ख़ौफ़नाक आवाज़ सुनेंगे और वह आग जोश मार रही होगी.
8. गोया वह शिद्दते ग़ज़ब से शिगाफ़्ता हो जाएगी यानी फट जाएगी. जब उसमें कोई फ़ौज डाली जाएगी, तो उसके दरोग़ा उनसे पूछेंगे- क्या तुम्हारे पास कोई ख़बरदार करने वाला नहीं आया था?
9. वे लोग कहेंगे- क्यों नहीं, बेशक हमारे पास ख़बरदार करने वाला आया था, लेकिन हमने उसे झुठला दिया और हमने कहा कि अल्लाह ने कोई चीज़ नाज़िल नहीं की, लेकिन तुम बड़ी गुमराही में मुब्तिला हो.
10. और वे लोग कहेंगे कि अगर हम उनकी बात सुनते और समझते, तो आज दोज़ख़ वालों में शामिल नहीं होते.
11. फिर वे लोग अपने गुनाहों का ऐतराफ़ कर लेंगे. दोज़ख़ वाले लोग अल्लाह की रहमत से दूर रहेंगे.
12. बेशक जो लोग ग़ायबाना अपने परवरदिगार से ख़ौफ़ रखते हैं, उनके लिए मग़फ़िरत और बड़ा अज्र है.
13. और तुम लोग अपनी बातें पोशीदा रखो या उन्हें ज़ाहिर करो, बेशक वह दिलों में पोशीदा राज़ों से भी ख़ूब वाक़िफ़ है.
14. क्या वह नहीं जानता, जिसने पैदा किया है? और वह बड़ा लतीफ़ बड़ा बाख़बर है.
15. वह अल्लाह ही है, जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को नरम कर दिया. फिर तुम उसके रास्तों पर चलो फिरो और उसका दिया हुआ रिज़्क़ खाओ व पियो. और तुम्हें उसकी तरफ़ ही लौटना है.
16. क्या तुम आसमान वाले अल्लाह से बेख़ौफ़ हो गए कि वह तुम्हें ज़मीन में इस तरह दबा दे कि वह अचानक लरज़ने लगे.
17. क्या तुम आसमान वाले अल्लाह से बेख़ौफ़ हो गए कि वह तुम पर पत्थरों वाली आंधी चलाए. फिर तुम अनक़रीब जान लोगे कि हमारा ख़बरदार करना कैसा है.
18. और बेशक उन लोगों ने भी झुठलाया था, जो उनसे पहले थे. फिर जान लो कि हमारा अज़ाब कैसा था?
19. क्या उन्होंने अपने ऊपर उड़ते परिन्दों को नहीं देखा, जो परों को फैलाते और समेटते हैं. मेहरबान अल्लाह के सिवा इन्हें कोई थाम नहीं सकता. बेशक वह हर चीज़ को ख़ूब देखने वाला है.
20. क्या कोई ऐसा है, जो तुम्हारा लश्कर बनकर मेहरबान अल्लाह के मुक़ाबिल तुम्हारी मदद करे. काफ़िर तो सिर्फ़ तकब्बुर में मुब्तिला हैं. 
21. या कोई ऐसा है, जो तुम्हें रिज़्क़ दे सके. अगर अल्लाह तुमसे अपना रिज़्क़ रोक ले, बल्कि वे लोग सरकशी और नफ़रत में मुब्तिला हैं.
22. कौन सीधे रास्ते पर है, वह शख़्स जो चलता हुआ मुंह के बल गिर पड़ता है या वह जो सीधे रास्ते पर मुसलसल चल रहा है?
23. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम कह दो कि वह अल्लाह ही है, जिसने तुम्हें पैदा किया है और तुम्हारे लिए कान, आंखें और दिल बनाए, लेकिन तुम बहुत कम शुक्र अदा करते हो.
24. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम कह दो कि वह अल्लाह ही है, जिसने तुम्हें ज़मीन में फैलाया और क़यामत के दिन तुम उसकी तरफ़ ही जमा किए जाओगे.
25. और वे लोग कहते हैं कि क़यामत का वादा कब पूरा होगा? अगर तुम सच्चे हो. 
26. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम कह दो कि बेशक इसका इल्म तो अल्लाह ही को है और बेशक मैं तो सिर्फ़ ऐलानिया अज़ाब से ख़बरदार करने वाला हूं.
27. फिर जब क़यामत को क़रीब देख लेंगे, तो कुफ़्र करने वाले लोगों के चेहरे बिगड़ जाएंगे और उनसे कहा जाएगा कि यही वह क़यामत है, जिसके तुम तलबगार थे. 
28. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम कह दो कि भला यह बताओ कि अगर अल्लाह मुझे और मेरे साथियों को हलाक कर दे या हम पर रहम फ़रमाए, तो ऐसे में कौन है, जो काफ़िरों को दर्दनाक अज़ाब से पनाह देगा?   
29. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम कह दो कि मेहरबान अल्लाह ही है, जिस पर हम ईमान लाए हैं और हमने उसी पर भरोसा किया है. फिर तुम अनक़रीब जान लोगे कि कौन सरीह गुमराही में मुब्तिला है.
30. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम कह दो कि भला बताओ कि अगर तुम्हारा पानी ज़मीन में बहुत नीचे उतर जाए, तो कौन है जो तुम्हारे लिए ज़मीन पर पानी के चश्मे बहाएगा?

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