सूरह अल जुमा मदीना में नाज़िल हुई और इसकी 11 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. हर शय, जो आसमानों में है और जो ज़मीन में है, अल्लाह की तस्बीह करती है, जो हक़ीक़ी बादशाह है, पाक है. वह बड़ा ग़ालिब बड़ा हिकमत वाला है.
2. वह अल्लाह ही है, जिसने अनपढ़ लोगों में से एक मुअज़्ज़िज़ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को भेजा, जो उन्हें आयतें पढ़कर सुनाते हैं और उन्हें पाक करते हैं और उन्हें किताब और हिकमत की तालीम देते हैं. बेशक इससे पहले वे लोग सरीह गुमराही में मुब्तिला थे.
3. और अल्लाह ने उनमें से दूसरे लोगों की तरफ़ भी रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को भेजा, जो अभी उन लोगों से नहीं मिले यानी जो लोग उनके बाद वाले ज़मानों में क़यामत तक दुनिया में आते रहेंगे. और वह बड़ा ग़ालिब बड़ा हिकमत वाला है.
4. यह अल्लाह का फ़ज़ल है. वह जिसे चाहता है, उसे नवाज़ता है. और अल्लाह बड़ा फ़ज़ल वाला बड़ा अज़ीम है.
5. जिन लोगों पर तौरात का बोझ डाला गया. फिर उन्होंने उसे नहीं उठाया. उनकी मिसाल गधे जैसी है, जिस पर बड़ी-बड़ी किताबें लदी हुई हों. उस क़ौम की मिसाल कितनी बुरी है, जिसने अल्लाह की आयतों को झुठलाया और अल्लाह ज़ालिमों की क़ौम को हिदायत नहीं देता.
6. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम कह दो कि ऐ यहूदियो ! अगर तुम यह गुमान करते हो कि सब लोगों को छोड़कर सिर्फ़ तुम ही अल्लाह के दोस्त हो, तो तुम मौत की तमन्ना करो. अगर तुम सच्चे हो.
7. और वे लोग मौत की तमन्ना कभी नहीं करेंगे, क्योंकि वे अपने हाथों बहुत कुछ आगे भेज चुके हैं. और अल्लाह ज़ालिमों से ख़ूब वाक़िफ़ है.
8. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम कह दो कि जिस मौत से तुम लोग भागते हो, वह तुम्हें ज़रूर मिलेगी. फिर तुम ग़ैब और ज़ाहिर को जानने वाले अल्लाह की तरफ़ लौटा दिए जाओगे. वह तुम्हें उन आमाल से आगाह कर देगा, जो तुम किया करते थे.
9. ऐ ईमान वालो ! जब जुमे के दिन नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए, तो फ़ौरन अल्लाह के ज़िक्र यानी नमाज़ और ख़ुत्बे की तरफ़ चल पड़ो और ख़रीद-फ़रोख़्त यानी कारोबार छोड़ दो. यह तुम्हारे लिए बेहतर है. अगर तुम जानते हो.
10. फिर जब नमाज़ मुकम्मल हो जाए, तो ज़मीन में जहां चाहे जाओ और अल्लाह का फ़ज़ल यानी रिज़्क़ तलाश करो और कसरत से अल्लाह का ज़िक्र करते रहो, ताकि तुम कामयाबी पाओ.
11. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! और जब उन लोगों ने कोई तिजारत या खेल तमाशा देखा, तो उसकी तरफ़ दौड़ पड़े और तुम्हें ख़ुत्बे में खड़ा हुआ छोड़ दिया. तुम कह दो कि जो कुछ अल्लाह के पास है, वह खेल तमाशे और तिजारत से कहीं बेहतर है. और अल्लाह बेहतरीन रिज़्क़ देने वाला है.
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