Saturday, July 24, 2021

61 सूरह अल सफ़

सूरह अल सफ़ मदीना में नाज़िल हुई और इसकी 14 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. हर शय, जो आसमानों में है और जो ज़मीन में है, अल्लाह की तस्बीह करती है और वह बड़ा ग़ालिब बड़ा हिकमत वाला है.
2. ऐ ईमान वालो ! तुम ऐसी बातें क्यों कहते हो, जो तुम ख़ुद नहीं करते.
3. अल्लाह के नज़दीक यह बहुत नापसंदीदा बात है कि तुम ऐसी बात कहो, जो ख़ुद नहीं करते.
4. बेशक अल्लाह उन लोगों को पसंद करता है, जो उसकी राह में इस तरह सफ़ बांध कर लड़ते हैं, गोया वे सीसा पिलाई हुई दीवार हों.
5. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! वह वक़्त याद करो, जब मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी क़ौम से कहा कि ऐ मेरी क़ौम ! तुम मुझे क्यों अज़ीयत देते हो. हालांकि तुम ख़ूब जानते हो कि मैं तुम्हारी तरफ़ अल्लाह का भेजा हुआ रसूल हूं. फिर जब वे लोग टेढ़े हो गए, तो अल्लाह ने भी उनके दिलों को फेर दिया. और अल्लाह नाफ़रमान क़ौम को हिदायत नहीं देता.  
6. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! और वह वक़्त याद करो, जब मरयम अलैहिस्सलाम के बेटे ईसा अलैहिस्सलाम ने कहा कि ऐ बनी इस्राईल ! मैं तुम्हारी तरफ़ अल्लाह का भेजा हुआ रसूल हूं और मुझसे पहले आई तौरात की तसदीक़ करता हूं और अपने बाद आने वाले रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बशारत देता हूं, जिनका नाम आसमानों पर अहमद है. फिर जब वे उनके पास वाज़ेह निशानियों के साथ आए, तो वे लोग कहने लगे कि यह सरीह जादू है. 
7. और उस शख़्स से बढ़कर ज़ालिम कौन हो सकता है, जो अल्लाह पर झूठे बोहतान बांधे, जबकि उसे इस्लाम की तरफ़ बुलाया जा रहा है. और अल्लाह ज़ालिमों की क़ौम को हिदायत नहीं देता. 
8. वे लोग चाहते हैं कि अल्लाह के नूर को अपनी फूंक से बुझा दें. हालांकि अल्लाह अपने नूर को मुकम्मल करने वाला है. अगरचे काफ़िरों को कितना ही बुरा लगे.
9. वह अल्लाह ही है, जिसने अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हिदायत और दीने हक़ देकर भेजा, ताकि उसे तमाम दीनों पर ग़ालिब कर दे. अगरचे मुशरिकों को कितना ही बुरा लगे.
10. ऐ ईमान वालो ! क्या हम तुम्हें ऐसी तिजारत बताएं, जो तुम्हें आख़िरत के दर्दनाक अज़ाब से बचा ले. 
11. तुम अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर कामिल ईमान लाओ और अल्लाह की राह में अपने माल और जान से जिहाद करो. यह तुम्हारे लिए बेहतर है. अगर तुम जानते हो. 
12. अल्लाह तुम्हारे गुनाह बख़्श देगा और तुम्हें जन्नत के उन बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके नीचे नहरें बहती हैं और तुम्हें ऐसे पाक़ीज़ा घरों में रखेगा, जो हमेशा रहने वाली जन्नत में हैं. यह बहुत बड़ी कामयाबी है.
13. और वह तुम्हें ऐसी नेमत भी अता करेगा, जिसे तुम बहुत चाहते हो. और तुम्हें अनक़रीब अल्लाह की तरफ़ से मदद और फ़तह हासिल होगी. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! तुम मोमिनों को यह बशारत दे दो. क़ाबिले ग़ौर है कि यह ख़ुशख़बरी मक्का और फ़ारस और रोम की फ़तह की शक्ल में ज़ाहिर हुई.
14. ऐ ईमान वालो ! अल्लाह के मददगार बन जाओ, जिस तरह मरयम अलैहिस्सलाम के बेटे ईसा अलैहिस्सलाम ने हवारियों यानी अपने साथियों से कहा था कि अल्लाह के रास्ते की तरफ़ बुलाने में मेरे मददगार कौन हैं, तो उन्होंने कहा कि हम अल्लाह के मददगार हैं. फिर बनी इस्राईल में से एक तबक़ा ईमान ले आया और एक तबक़ा काफ़िर हो गया. हमने ईमान लाने वाले लोगों की उनके दुश्मनों के मुक़ाबले में मदद की, तो वे ग़ालिब हो गए.

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