सूरह अत तीन मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 8 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है अंजीर की और क़सम है ज़ैतून की.
2. और क़सम है सहरा-ए सीना के पहाड़ तूर की
3. और क़सम है इस अमन वाले शहर मक्का की.
4. बेशक हमने इंसान को बहुत ही ख़ूबसूरत सांचे में ढाल कर पैदा किया है.
5. फिर हमने उसे पस्त से पस्त हालत में लौटा दिया.
6. सिवाय उन लोगों के, जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, तो उनके लिए कभी ख़त्म न होने वाला दाइमी अज्र है.
7. फिर इसके बाद तुम जज़ा और सज़ा के दिन को क्यों झुठलाते हो?
8. क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं है?
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है अंजीर की और क़सम है ज़ैतून की.
2. और क़सम है सहरा-ए सीना के पहाड़ तूर की
3. और क़सम है इस अमन वाले शहर मक्का की.
4. बेशक हमने इंसान को बहुत ही ख़ूबसूरत सांचे में ढाल कर पैदा किया है.
5. फिर हमने उसे पस्त से पस्त हालत में लौटा दिया.
6. सिवाय उन लोगों के, जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, तो उनके लिए कभी ख़त्म न होने वाला दाइमी अज्र है.
7. फिर इसके बाद तुम जज़ा और सज़ा के दिन को क्यों झुठलाते हो?
8. क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं है?
0 comments:
Post a Comment