सूरह अल इंशिराह मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 8 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! क्या हमने तुम्हारा सीना अनवारे इल्म और हिकमत के लिए कुशादा नहीं कर दिया है.
2. और हमने तुम पर से तुम्हारा बोझ उतार दिया.
3. जो तुम्हारी पुश्त पर भारी था.
4. और हमने तुम्हारे लिए तुम्हारा ज़िक्र अपने ज़िक्र में शामिल करके तुम्हें दुनिया और आख़िरत में हर जगह बुलंद कर दिया.
5. फिर बेशक हर मुश्किल के साथ आसानी है.
6. बेशक हर मुश्किल के साथ आसानी भी है.
7. फिर जब तुम ख़ल्क़ के तमाम फ़राइज़ से फ़ारिग़ हो जाओ, तो ज़िक्रे इलाही और इबादत में मेहनत किया करो,
8. और अपने परवरदिगार की तरफ़ राग़िब हो जाया करो. यानी अपने परवरदिगार से लौ लगाओ.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! क्या हमने तुम्हारा सीना अनवारे इल्म और हिकमत के लिए कुशादा नहीं कर दिया है.
2. और हमने तुम पर से तुम्हारा बोझ उतार दिया.
3. जो तुम्हारी पुश्त पर भारी था.
4. और हमने तुम्हारे लिए तुम्हारा ज़िक्र अपने ज़िक्र में शामिल करके तुम्हें दुनिया और आख़िरत में हर जगह बुलंद कर दिया.
5. फिर बेशक हर मुश्किल के साथ आसानी है.
6. बेशक हर मुश्किल के साथ आसानी भी है.
7. फिर जब तुम ख़ल्क़ के तमाम फ़राइज़ से फ़ारिग़ हो जाओ, तो ज़िक्रे इलाही और इबादत में मेहनत किया करो,
8. और अपने परवरदिगार की तरफ़ राग़िब हो जाया करो. यानी अपने परवरदिगार से लौ लगाओ.
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