सूरह अश शम्स मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 15 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. और क़सम है सूरज की और उसकी रौशनी की
2. और क़सम है चांद की, जब वह उसके पीछे-पीछे आए.
3. और क़सम है दिन की, जब वह सूरज को जलवा फ़रोश करे.
4. और क़सम है रात की, जब वह ज़मीन के एक हिस्से को छुपा ले
5. और क़सम है आसमान की और उस ज़ात की, जिसने उसे बनाया.
6. और क़सम है ज़मीन की और उस ज़ात की, जिसने उसे बिछाया.
7. और क़सम है नफ़्स की और उस ज़ात की, जिसने उसे संवारा.
8. फिर अल्लाह ने उसे बदकारी और परहेज़गारी की समझ दी.
9. बेशक वह कामयाब हुआ, जिसने अपनी नफ़्स को पाक रखा.
10. और बेशक वह नाकाम हुआ, जिसने उसे ख़ाक में मिला दिया.
11. क़ौमे समूद ने अपनी सरकशी से अपने पैग़म्बर सालेह अलैहिस्साम को झुठलाया.
12. जब उन लोगों में से एक बदबख़्त खड़ा हुआ,
13. फिर अल्लाह के रसूल सालेह अलैहिस्साम ने उनसे कहा कि अल्लाह की ऊंटनी की हिफ़ाज़त करना और उसकी बारी पर उसे पानी पिलाना.
14. फिर उन्होंने पैग़म्बर को झुठलाया और ऊंटनी की कूंचें काट दीं. फिर अल्लाह ने उनके गुनाहों की वजह से उन पर हलाकत नाज़िल कर दी. फिर उनकी बस्ती को तबाह व बर्बाद करके उसे बराबर कर दिया.
15. और अल्लाह को अंजाम का कोई ख़ौफ़ नहीं होता.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. और क़सम है सूरज की और उसकी रौशनी की
2. और क़सम है चांद की, जब वह उसके पीछे-पीछे आए.
3. और क़सम है दिन की, जब वह सूरज को जलवा फ़रोश करे.
4. और क़सम है रात की, जब वह ज़मीन के एक हिस्से को छुपा ले
5. और क़सम है आसमान की और उस ज़ात की, जिसने उसे बनाया.
6. और क़सम है ज़मीन की और उस ज़ात की, जिसने उसे बिछाया.
7. और क़सम है नफ़्स की और उस ज़ात की, जिसने उसे संवारा.
8. फिर अल्लाह ने उसे बदकारी और परहेज़गारी की समझ दी.
9. बेशक वह कामयाब हुआ, जिसने अपनी नफ़्स को पाक रखा.
10. और बेशक वह नाकाम हुआ, जिसने उसे ख़ाक में मिला दिया.
11. क़ौमे समूद ने अपनी सरकशी से अपने पैग़म्बर सालेह अलैहिस्साम को झुठलाया.
12. जब उन लोगों में से एक बदबख़्त खड़ा हुआ,
13. फिर अल्लाह के रसूल सालेह अलैहिस्साम ने उनसे कहा कि अल्लाह की ऊंटनी की हिफ़ाज़त करना और उसकी बारी पर उसे पानी पिलाना.
14. फिर उन्होंने पैग़म्बर को झुठलाया और ऊंटनी की कूंचें काट दीं. फिर अल्लाह ने उनके गुनाहों की वजह से उन पर हलाकत नाज़िल कर दी. फिर उनकी बस्ती को तबाह व बर्बाद करके उसे बराबर कर दिया.
15. और अल्लाह को अंजाम का कोई ख़ौफ़ नहीं होता.
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