सूरह अल लैल मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 21 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. और क़सम है रात की, जब वह छा जाए.
2. और क़सम है दिन की, जब वह चमक उठे.
3. और क़सम है उस ज़ात की, जिसने नर और मादा को पैदा किया.
4. बेशक तुम्हारी कोशिशें मुख़्तलिफ़ हैं.
5. फिर जिसने अल्लाह की राह में अपना माल दिया और परहेज़गारी इख़्तियार की
6. और अच्छी बात की तसदीक़ की
7. फिर हम अनक़रीब उसके लिए आसानी पैदा कर देंगे.
8. और जिसने बुख़्ल किया और राहे हक़ में माल ख़र्च करने से बेपरवाह रहा
9. और अच्छी बात को झुठलाया,
10. तो हम अनक़रीब उसे सख़्ती में पहुंचा देंगे.
11. और उसका माल उसके कुछ भी काम नहीं आएगा, जब वह दोज़ख़ के गड्ढे में गिरेगा.
12. बेशक राह दिखाना हमारे ज़िम्मे है.
13. और बेशक आख़िरत और दुनिया हमारी ही मिल्कियत हैं.
14. फिर हमने तुम्हें दोज़ख़ की भड़कती हुई आग से ख़बरदार कर दिया है.
15. जिसमें वही डाला जाएगा, जो बड़ा बदबख़्त होगा,
16. जिसने हक़ को झुठलाया और मुंह फेर लिया.
17. और अनक़रीब उसे दोज़ख़ की आग से बचा लिया जाएगा, जो परहेज़गार होगा.
18. जो अपना माल अल्लाह की राह में ख़र्च करता है, ताकि वह पाक हो जाए.
19. और किसी का उस पर अहसान नहीं है कि जिसका उसे बदला उतारना है,
20. लेकिन वह सिर्फ़ अपने आला परवरदिगार की ख़ुशनूदी हासिल करने के लिए ऐसा करता है.
21. और अनक़रीब वह अल्लाह की अता से राज़ी हो जाएगा.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. और क़सम है रात की, जब वह छा जाए.
2. और क़सम है दिन की, जब वह चमक उठे.
3. और क़सम है उस ज़ात की, जिसने नर और मादा को पैदा किया.
4. बेशक तुम्हारी कोशिशें मुख़्तलिफ़ हैं.
5. फिर जिसने अल्लाह की राह में अपना माल दिया और परहेज़गारी इख़्तियार की
6. और अच्छी बात की तसदीक़ की
7. फिर हम अनक़रीब उसके लिए आसानी पैदा कर देंगे.
8. और जिसने बुख़्ल किया और राहे हक़ में माल ख़र्च करने से बेपरवाह रहा
9. और अच्छी बात को झुठलाया,
10. तो हम अनक़रीब उसे सख़्ती में पहुंचा देंगे.
11. और उसका माल उसके कुछ भी काम नहीं आएगा, जब वह दोज़ख़ के गड्ढे में गिरेगा.
12. बेशक राह दिखाना हमारे ज़िम्मे है.
13. और बेशक आख़िरत और दुनिया हमारी ही मिल्कियत हैं.
14. फिर हमने तुम्हें दोज़ख़ की भड़कती हुई आग से ख़बरदार कर दिया है.
15. जिसमें वही डाला जाएगा, जो बड़ा बदबख़्त होगा,
16. जिसने हक़ को झुठलाया और मुंह फेर लिया.
17. और अनक़रीब उसे दोज़ख़ की आग से बचा लिया जाएगा, जो परहेज़गार होगा.
18. जो अपना माल अल्लाह की राह में ख़र्च करता है, ताकि वह पाक हो जाए.
19. और किसी का उस पर अहसान नहीं है कि जिसका उसे बदला उतारना है,
20. लेकिन वह सिर्फ़ अपने आला परवरदिगार की ख़ुशनूदी हासिल करने के लिए ऐसा करता है.
21. और अनक़रीब वह अल्लाह की अता से राज़ी हो जाएगा.
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