सूरह अल बलद मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 20 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है इस शहर मक्का की.
2. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! और तुम इस शहर में हो.
3. और क़सम है वालिद यानी आदम अलैहिस्सलाम और उनकी औलाद की.
4. बेशक हमने इंसान को मशक़्क़त में रहने वाला बनाया है.
5. क्या वह ये गुमान करता है कि उस पर हरगिज़ कोई भी क़ाबू नहीं पा सकेगा.
6. वह कहता है कि मैंने बहुत सा माल ख़र्च किया है.
7. क्या वह ये गुमान करता है कि उसे किसी ने नहीं देखा.
8. क्या हमने उसके लिए दो आंखें नहीं बनाईं?
9. और उसे एक ज़बान और दो होंठ नहीं दिए.
10. और हमने उसे अच्छे और बुरे दोनों रास्ते भी दिखा दिए.
11. फिर भी वह घाटी में से होकर नहीं गुज़रा.
12. और तुम क्या जानो कि घाटी क्या है?
13. किसी की गर्दन का आज़ाद कराना यानी किसी को ग़ुलामी से आज़ाद कराना या किसी का क़र्ज़ उतारना.
14. या भूख के दिन खाना खिलाना
15. किसी यतीम रिश्तेदार को
16. या किसी मोहताज ख़ाकसार को.
17. फिर वह उन लोगों में से हो, जो ईमान लाए हैं और एक दूसरे को सब्र की वसीयत और बाहमी रहम करने की भी वसीयत करते हैं.
18. ये लोग दायीं तरफ़ वाले यानी ख़ुशनसीब हैं.
19. और जिन लोगों ने हमारी आयतों से कुफ़्र किया है, वे बायीं तरफ़ वाले यानी बदबख़्त हैं,
20. और उन पर हर तरफ़ से बंद की हुई आग होगी यानी वे लोग आग में घिरे हुए होंगे.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है इस शहर मक्का की.
2. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! और तुम इस शहर में हो.
3. और क़सम है वालिद यानी आदम अलैहिस्सलाम और उनकी औलाद की.
4. बेशक हमने इंसान को मशक़्क़त में रहने वाला बनाया है.
5. क्या वह ये गुमान करता है कि उस पर हरगिज़ कोई भी क़ाबू नहीं पा सकेगा.
6. वह कहता है कि मैंने बहुत सा माल ख़र्च किया है.
7. क्या वह ये गुमान करता है कि उसे किसी ने नहीं देखा.
8. क्या हमने उसके लिए दो आंखें नहीं बनाईं?
9. और उसे एक ज़बान और दो होंठ नहीं दिए.
10. और हमने उसे अच्छे और बुरे दोनों रास्ते भी दिखा दिए.
11. फिर भी वह घाटी में से होकर नहीं गुज़रा.
12. और तुम क्या जानो कि घाटी क्या है?
13. किसी की गर्दन का आज़ाद कराना यानी किसी को ग़ुलामी से आज़ाद कराना या किसी का क़र्ज़ उतारना.
14. या भूख के दिन खाना खिलाना
15. किसी यतीम रिश्तेदार को
16. या किसी मोहताज ख़ाकसार को.
17. फिर वह उन लोगों में से हो, जो ईमान लाए हैं और एक दूसरे को सब्र की वसीयत और बाहमी रहम करने की भी वसीयत करते हैं.
18. ये लोग दायीं तरफ़ वाले यानी ख़ुशनसीब हैं.
19. और जिन लोगों ने हमारी आयतों से कुफ़्र किया है, वे बायीं तरफ़ वाले यानी बदबख़्त हैं,
20. और उन पर हर तरफ़ से बंद की हुई आग होगी यानी वे लोग आग में घिरे हुए होंगे.
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