Saturday, June 26, 2021

89 सूरह अल फ़ज्र

सूरह अल फ़ज्र मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 30 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है फ़ज्र की यानी सुबह की 
2. और क़सम है दस रातों की
3. और क़सम है जुफ़्त की और क़सम है ताक़ की
4. और क़सम है रात की, जब वह गुज़रने लगे.
5. बेशक अक़्लमंदों के लिए ये बड़ी क़समें हैं.
6. क्या तुमने देखा नहीं कि तुम्हारे परवरदिगार ने हूद अलैहिस्सलाम की क़ौम आद के साथ कैसा सुलूक किया?
7. जो अहले इरम थे और बड़े-बड़े सुतूनों वाले थे. 
8. उन जैसे लोग दुनिया के किसी शहर में पैदा ही नहीं हुए.
9. और सालेह अलैहिस्सलाम की क़ौम समूद के साथ कैसा सुलूक किया, जो वादी ए क़री में पहाड़ तराश कर घर बनाते थे.
10. और फ़िरऔन के साथ कैसा सुलूक किया, जो लोगों को मेख़ों से सज़ा देता था.
11. यही वे लोग थे, जिन्होंने मुख़्तलिफ़ शहरों में सरकशी की थी.
12. फिर उनमें ख़ूब फ़साद फैलाया था.
13. फिर तुम्हारे परवरदिगार ने उन पर अज़ाब के कोड़े बरसाये.
14. बेशक तुम्हारा परवरदिगार ज़ालिमों पर नज़र रखे हुए है.
15. फिर जब इंसान को उसका परवरदिगार राहत में आज़माता है और उसे इज़्ज़त और नेअमत से नवाज़ता है, तो वह कहता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे इज़्ज़त बख़्शी है.
16. और जब वह उसे तकलीफ़ में आज़माता है और उसका रिज़्क़ तंग कर देता है, तो वह कहता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे ज़लील कर दिया.  
17. ऐसा हरगिज़ नहीं है, बल्कि तुम लोग यतीमों की इज़्ज़त नहीं करते,
18. और न तुम मिस्कीनों यानी ग़रीबों और मोहताजों को खाना खिलाने के लिए एक दूसरे को तरग़ीब देते हो.
19. और तुम मीरास का सारा माल समेट कर खा जाते हो.
20. और तुम माल व दौलत से बहुत ज़्यादा मुहब्बत करते हो.
21. जान लो कि जब ज़मीन कूट-कूट कर रेज़ा-रेज़ा कर दी जाएगी,
22. और तुम्हारा परवरदिगार जलवा फ़रोश होगा और फ़रिश्ते क़तार दर क़तार हाज़िर होंगे.
23. और जिस दिन जहन्नुम सामने कर दी जाएगी, तो उस दिन इंसान सोचेगा, लेकिन अब सोचने से क्या होगा.
24. उस वक़्त वह कहेगा कि काश ! मैंने अपनी इस ज़िन्दगी के लिए पहले कुछ भेजा होता.
25. फिर उस दिन अल्लाह जो अज़ाब देगा, वैसा अज़ाब देने वाला कोई नहीं है.
26. और न कोई उसकी तरह मज़बूत गिरफ़्त में लेगा. 
27. नेक लोगों से कहा जाएगा कि ऐ इत्मीनान पाने वाली जान !
28. तू अपने परवरदिगार की तरफ़ इस हाल में लौट आ कि तू उससे राज़ी और वह तुझसे राज़ी है.
29. फिर तू हमारे बन्दों में शामिल हो जा.
30. और हमारी जन्नत में दाख़िल हो जा.

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