सूरह अल गाशीयह मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 26 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क्या तुम्हें हर चीज़ पर छा जाने वाली क़यामत की ख़बर मिली?
2. उस दिन बहुत से चेहरे ज़लील व ख़्वार होंगे.
3. अपने आमाल के सबब मुसीबत झेलते हुए थके मांदे
4. दहकती हुई आग में डाले जाएंगे.
5. उन्हें खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा.
6. और उनके लिए ख़ारदार ख़ुश्क ज़हरीली झाड़ियों के सिवा खाने को कुछ नहीं होगा.
7. यह खाना न जिस्म को लगेगा और न भूख मिटाएगा.
8. और उस दिन बहुत से चेहरे तरोताज़ा होंगे.
9. वे अपनी नेक कोशिशों पर ख़ुश व ख़ुर्रम होंगे.
10. वे आलीशान जन्नत में होंगे.
11. उसमें कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे.
12. उसमें चश्मे बहते होंगे.
13. उसमें ऊंचे-ऊंचे तख़्त बिछे हुए होंगे,
14. और प्याले क़रीने से रखे हुए होंगे.
15. और गाव तकिये क़तार में लगे हुए होंगे.
16. और मख़मली क़ालीनें बिछी हुई होंगी.
17. क्या वे लोग ऊंट की तरफ़ नहीं देखते कि उसे कैसा अजीब बनाया गया है?
18. और आसमान की तरफ़ नहीं देखते कि उसे कितना बुलंद किया गया है.
19. और पहाड़ों की तरफ़ नहीं देखते कि वे कैसे खड़े किए गए हैं.
20. और ज़मीन की तरफ़ नहीं देखते कि वह किस तरह गोलाई के बावजूद बिछाई गई है.
21. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! फिर तुम नसीहत करते रहो कि तुम तो नसीहत करने वाले हो.
22. तुम्हें उन पर ज़िम्मेदार बनाकर मुसल्लत नहीं किया गया है.
23. लेकिन जिसने मुंह फेरा और कुफ़्र किया
24. तो अल्लाह उसे बड़ा अज़ाब देगा.
25. बेशक उन्हें हमारी तरफ़ ही लौटना है.
26. फिर बेशक हमारे ही ज़िम्मे उनका हिसाब लेना है.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क्या तुम्हें हर चीज़ पर छा जाने वाली क़यामत की ख़बर मिली?
2. उस दिन बहुत से चेहरे ज़लील व ख़्वार होंगे.
3. अपने आमाल के सबब मुसीबत झेलते हुए थके मांदे
4. दहकती हुई आग में डाले जाएंगे.
5. उन्हें खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा.
6. और उनके लिए ख़ारदार ख़ुश्क ज़हरीली झाड़ियों के सिवा खाने को कुछ नहीं होगा.
7. यह खाना न जिस्म को लगेगा और न भूख मिटाएगा.
8. और उस दिन बहुत से चेहरे तरोताज़ा होंगे.
9. वे अपनी नेक कोशिशों पर ख़ुश व ख़ुर्रम होंगे.
10. वे आलीशान जन्नत में होंगे.
11. उसमें कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे.
12. उसमें चश्मे बहते होंगे.
13. उसमें ऊंचे-ऊंचे तख़्त बिछे हुए होंगे,
14. और प्याले क़रीने से रखे हुए होंगे.
15. और गाव तकिये क़तार में लगे हुए होंगे.
16. और मख़मली क़ालीनें बिछी हुई होंगी.
17. क्या वे लोग ऊंट की तरफ़ नहीं देखते कि उसे कैसा अजीब बनाया गया है?
18. और आसमान की तरफ़ नहीं देखते कि उसे कितना बुलंद किया गया है.
19. और पहाड़ों की तरफ़ नहीं देखते कि वे कैसे खड़े किए गए हैं.
20. और ज़मीन की तरफ़ नहीं देखते कि वह किस तरह गोलाई के बावजूद बिछाई गई है.
21. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! फिर तुम नसीहत करते रहो कि तुम तो नसीहत करने वाले हो.
22. तुम्हें उन पर ज़िम्मेदार बनाकर मुसल्लत नहीं किया गया है.
23. लेकिन जिसने मुंह फेरा और कुफ़्र किया
24. तो अल्लाह उसे बड़ा अज़ाब देगा.
25. बेशक उन्हें हमारी तरफ़ ही लौटना है.
26. फिर बेशक हमारे ही ज़िम्मे उनका हिसाब लेना है.
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