Monday, June 28, 2021

87 सूरह अल आला

सूरह अल आला मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 19 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! अपने परवरदिगार के नाम की तस्बीह किया करो, जो सबसे आला है. 
2. जिसने कायनात की तख़लीक़ की और उसे संवारा.
3. और जिसने हर चीज़ के लिए क़ायदे बनाए और रास्ते मुक़र्रर किए.
4. और जिसने चारा उगाया.
5. फिर उसे ख़ुश्क करके स्याह कर दिया.
6. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! हम तुम्हें इस तरह पढ़ाएंगे, जिसे तुम कभी नहीं भूलोगे.
7. लेकिन होता वही है, जो अल्लाह चाहता है. बेशक वह हर ज़ाहिरी और पोशीदा बात को ख़ूब जानता है.
8. हम तुम्हारी सहूलत के लिए आसानी पैदा करेंगे. 
9. फिर तुम नसीहत करते रहो, अगर नसीहत करना नफ़ा दे.
10. वही नसीहत हासिल करेगा, जो अल्लाह से ख़ौफ़ रखता होगा. 
11. और बदबख़्त इससे गुरेज़ करेगा.
12. जो बहुत भड़कती हुई आग में डाला जाएगा.
13. फिर वह उसमें न मरेगा और न जिएगा.
14. बेशक वही कामयाब होगा, जिसने ख़ुद को गुनाहों से पाक रखा.
15. और जिसने अपने परवरदिगार के नाम का ज़िक्र किया और नमाज़ पढ़ी.
16. लेकिन तुम दुनियावी ज़िन्दगी को तरजीह देते हो.
17. हालांकि आख़िरत बेहतर और बाक़ी रहने वाली है.
18. बेशक यह बात पहले के सहीफ़ों में भी कही गई है.
19. यानी इब्राहीम अलैहिस्सलाम और मूसा अलैहिस्सलाम के सहीफ़ों में भी लिखी हुई है.

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