सूरह अत तारीक़ मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 17 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है आसमान की और क़सम है रात को नज़र आने वाले की.
2. और क्या तुम जानते हो कि रात को नज़र आने वाला क्या है?
3. वह चमकता हुआ सितारा है.
4. कोई शख़्स ऐसा नहीं, जिस पर निगेहबान फ़रिश्ता मुक़र्रर नहीं है.
5. फिर इंसान को ग़ौर करना चाहिए कि वह किस चीज़ से पैदा किया गया है.
6. उसे उछलते हुए पानी से पैदा किया गया है,
7. जो कमर और सीने के बीच से निकलता है.
8. बेशक अल्लाह उसे दोबारा ज़िन्दा करने पर क़ादिर है.
9. जिस दिन सब पोशीदा राज़ ज़ाहिर कर दिए जाएंगे,
10. फिर उसके पास न कोई क़ूवत होगी और न कोई उसका मददगार होगा.
11. और क़सम है बारिश बरसाने वाले आसमान की.
12. और क़सम है ज़मीन की, जो शिगाफ़्ता हो जाएगी.
13. बेशक यह क़ुरआन क़ौले फ़ैसल है.
14. और यह कोई मज़ाक़ नहीं है.
15. बेशक वे काफ़िर साज़िशें कर रहे हैं.
16. और हम अपनी तदबीर कर रहे हैं.
17. फिर तुम काफ़िरों को मोहलत दो. उन्हें थोड़ी सी मोहलत और दे दो.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है आसमान की और क़सम है रात को नज़र आने वाले की.
2. और क्या तुम जानते हो कि रात को नज़र आने वाला क्या है?
3. वह चमकता हुआ सितारा है.
4. कोई शख़्स ऐसा नहीं, जिस पर निगेहबान फ़रिश्ता मुक़र्रर नहीं है.
5. फिर इंसान को ग़ौर करना चाहिए कि वह किस चीज़ से पैदा किया गया है.
6. उसे उछलते हुए पानी से पैदा किया गया है,
7. जो कमर और सीने के बीच से निकलता है.
8. बेशक अल्लाह उसे दोबारा ज़िन्दा करने पर क़ादिर है.
9. जिस दिन सब पोशीदा राज़ ज़ाहिर कर दिए जाएंगे,
10. फिर उसके पास न कोई क़ूवत होगी और न कोई उसका मददगार होगा.
11. और क़सम है बारिश बरसाने वाले आसमान की.
12. और क़सम है ज़मीन की, जो शिगाफ़्ता हो जाएगी.
13. बेशक यह क़ुरआन क़ौले फ़ैसल है.
14. और यह कोई मज़ाक़ नहीं है.
15. बेशक वे काफ़िर साज़िशें कर रहे हैं.
16. और हम अपनी तदबीर कर रहे हैं.
17. फिर तुम काफ़िरों को मोहलत दो. उन्हें थोड़ी सी मोहलत और दे दो.
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