सूरह अल माऊन मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 7 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! क्या तुमने उन्हें देखा है, जो जज़ा के दिन को झुठलाते हैं.
2. तो यही वे लोग हैं, जो यतीमों को धक्के देते हैं.
3. और किसी मिस्कीन यानी ग़रीब और मोहताज को खाना खिलाने की तरग़ीब नहीं देते.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. ऐ रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! क्या तुमने उन्हें देखा है, जो जज़ा के दिन को झुठलाते हैं.
2. तो यही वे लोग हैं, जो यतीमों को धक्के देते हैं.
3. और किसी मिस्कीन यानी ग़रीब और मोहताज को खाना खिलाने की तरग़ीब नहीं देते.
4. फिर ऐसे नमाज़ियों के लिए तबाही है.
5. जो अपनी नमाज़ों से ग़ाफ़िल हैं. यानी जो अपने फ़र्ज़ से ग़ाफ़िल हैं.
6. जो दिखावा करते हैं. यानी जो लोग इबादत और अमल दिखावे के लिए करते हैं.
7. और जो रोज़मर्रा की बरतने वाली चीज़ें मांगने पर भी लोगों को नहीं देते.
5. जो अपनी नमाज़ों से ग़ाफ़िल हैं. यानी जो अपने फ़र्ज़ से ग़ाफ़िल हैं.
6. जो दिखावा करते हैं. यानी जो लोग इबादत और अमल दिखावे के लिए करते हैं.
7. और जो रोज़मर्रा की बरतने वाली चीज़ें मांगने पर भी लोगों को नहीं देते.
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