सूरह अल कौसर मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 3 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! बेशक हमने तुम्हें कौसर अता किया.
2. तुम अपने परवरदिगार के लिए नमाज़ पढ़ो करो और क़ुर्बानी दिया करो.
3. बेशक तुम्हारा दुश्मन ही बेनाम और बेनिशान रहेगा.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. ऐ मेरे महबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! बेशक हमने तुम्हें कौसर अता किया.
2. तुम अपने परवरदिगार के लिए नमाज़ पढ़ो करो और क़ुर्बानी दिया करो.
3. बेशक तुम्हारा दुश्मन ही बेनाम और बेनिशान रहेगा.
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