सूरह अल बैयिनह मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 8 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. अहले किताब में से जिन्होंने कुफ़्र किया और मुशरिक उस वक़्त तक अपने कुफ़्र से बाज़ आने वाले नहीं थे, जब तक कि उनके पास वाज़ेह दलील न आ जाती.
2. अल्लाह के रसूल जो पाक सहीफ़े पढ़ते हैं.
3. जिनमें मुस्तहकम अहकाम लिखे हुए हैं.
4. और और जिन लोगों को किताब दी गई थी, वे वाज़ेह दलील आने के बाद ही फ़िरकों में तक़सीम हो गए. यानी जिन लोगों को अल्लाह की किताब ज़ुबूर और तौरात और इंजील दी गई थी, वे आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस दुनिया में तशरीफ़ लाने के बाद आपसी हसद की वजह से फ़िरकों में तक़सीम हो गए.
5. और उन लोगों को सिर्फ़ यही हुक्म दिया गया था कि वे अल्लाह ही की इबादत करें. हर बातिल से जुदा होकर अपनी इबादत को ख़ालिस रखें और पाबंदी से नमाज़ पढ़ें और ज़कात देते रहें. और यही सच्चा और मुस्तहकम दीन है.
6. बेशक अहले किताब में से जिन लोगों ने कुफ़्र किया और मुशरिक सव जहन्नुम की आग में पड़े होंगे. वे हमेशा उसमें रहेंगे. वे लोग बदतरीन मख़लूक़ हैं.
7. और बेशक जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, ये लोग बेहतरीन मख़लूक़ हैं.
8. उनकी जज़ा उनके परवरदिगार के पास जन्नत के सदाबहार बाग़ हैं, जिनके नीचे नहरें बहती हैं. वे हमेशा-हमेशा उनमें रहेंगे. अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे अल्लाह से राज़ी हैं. यह उनके लिए है, जो अपने परवरदिगार से ख़ौफ़ रखते हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. अहले किताब में से जिन्होंने कुफ़्र किया और मुशरिक उस वक़्त तक अपने कुफ़्र से बाज़ आने वाले नहीं थे, जब तक कि उनके पास वाज़ेह दलील न आ जाती.
2. अल्लाह के रसूल जो पाक सहीफ़े पढ़ते हैं.
3. जिनमें मुस्तहकम अहकाम लिखे हुए हैं.
4. और और जिन लोगों को किताब दी गई थी, वे वाज़ेह दलील आने के बाद ही फ़िरकों में तक़सीम हो गए. यानी जिन लोगों को अल्लाह की किताब ज़ुबूर और तौरात और इंजील दी गई थी, वे आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस दुनिया में तशरीफ़ लाने के बाद आपसी हसद की वजह से फ़िरकों में तक़सीम हो गए.
5. और उन लोगों को सिर्फ़ यही हुक्म दिया गया था कि वे अल्लाह ही की इबादत करें. हर बातिल से जुदा होकर अपनी इबादत को ख़ालिस रखें और पाबंदी से नमाज़ पढ़ें और ज़कात देते रहें. और यही सच्चा और मुस्तहकम दीन है.
6. बेशक अहले किताब में से जिन लोगों ने कुफ़्र किया और मुशरिक सव जहन्नुम की आग में पड़े होंगे. वे हमेशा उसमें रहेंगे. वे लोग बदतरीन मख़लूक़ हैं.
7. और बेशक जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, ये लोग बेहतरीन मख़लूक़ हैं.
8. उनकी जज़ा उनके परवरदिगार के पास जन्नत के सदाबहार बाग़ हैं, जिनके नीचे नहरें बहती हैं. वे हमेशा-हमेशा उनमें रहेंगे. अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे अल्लाह से राज़ी हैं. यह उनके लिए है, जो अपने परवरदिगार से ख़ौफ़ रखते हैं.
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