सूरह अल हुमज़ह मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 9 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. हर उस शख़्स के लिए तबाही है, जो ताने देने वाला और ऐबजोई करने वाला है.
2. जिसने माल जमा किया और उसे गिन-गिन कर रखा.
3. उसे यह गुमान है कि उसका माल उसे हमेशा ज़िन्दा रखेगा.
4. हरगिज़ नहीं, वह यक़ीनन हुतमा में डाला जाएगा.
5. और तुम नहीं जानते कि हुतमा क्या है?
6. वह अल्लाह की भड़काई हुई आग है.
7. जो दिलों तक चढ़ जाएगी.
8. बेशक वह आग उन पर हर तरफ़ से बंद कर दी जाएगी.
9. वे लोग आग से घिरे लम्बे-लम्बे सुतूनों में घिरे होंगे.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. हर उस शख़्स के लिए तबाही है, जो ताने देने वाला और ऐबजोई करने वाला है.
2. जिसने माल जमा किया और उसे गिन-गिन कर रखा.
3. उसे यह गुमान है कि उसका माल उसे हमेशा ज़िन्दा रखेगा.
4. हरगिज़ नहीं, वह यक़ीनन हुतमा में डाला जाएगा.
5. और तुम नहीं जानते कि हुतमा क्या है?
6. वह अल्लाह की भड़काई हुई आग है.
7. जो दिलों तक चढ़ जाएगी.
8. बेशक वह आग उन पर हर तरफ़ से बंद कर दी जाएगी.
9. वे लोग आग से घिरे लम्बे-लम्बे सुतूनों में घिरे होंगे.
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