सूरह अल अस्र मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 3 आयतें हैं.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है अस्र की
2. बेशक इंसान नुक़सान में है.
3. सिवाय उन लोगों के, जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे और एक दूसरे को हक़ की वसीयत की और सब्र की भी वसीयत करते रहे.
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
1. क़सम है अस्र की
2. बेशक इंसान नुक़सान में है.
3. सिवाय उन लोगों के, जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे और एक दूसरे को हक़ की वसीयत की और सब्र की भी वसीयत करते रहे.
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